बादशाह की अप्रसन्नता होते हुए भी धर्म और धरा दोनों तुम्हारी कृति से तुम से प्रसन्न और सन्तुष्ट हैं। धर्म तुम्हारी अटल धर्म-प्रियता के कारण प्रसन्न है कि इतने संकटापन्न होते हुए भी तु उसकी प्राण-प्रण से रक्षा कर रहे हो और पृथ्वी तुम्हारी निश्चल वीरता के कारण तुमसे प्रसन्न है अस्तु, हे राजन, तुम अपनी स्थिति में अटल रहकर उस विश्वम्भर जगदाधार पर अपना दृढ़ और अमर विश्वास रखना।
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