कश्मीर की आज़ादी चाहने वाले दिल्ली के रामजस कॉलेज की बजाए पाकिस्तान के गुलाम कश्मीर में जाकर नारा लगाएं तो कम से कम अपने देश की सरजमीं के कर्जे से तो मुक्त होंगे!
आजाद देश की राजधानी में ही देश तोड़ने के नाम पर आज़ादी के नारे बुलंद हो सकते हैं, गुलाम देश में तो हम-महजबी मजार भी जिंदगी की मार से अछूती नहीं है!
वैसे, शिक्षक_देश द्रोह का कु-पाठ! इस विमर्श को क्या नाम देंगे?
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