08072017, दैनिक जागरण
1803 में दिल्ली पर अंग्रेज कंपनी ईस्ट इंडिया के कब्जे के बाद कठपुतली शासक मुगल बादशाह भी कंपनी की सरपरस्ती में आ गया। लाल किले से पालम तक की बादशाहत का नतीजा यह हुआ कि राजधानी में पानी की देखरेख और रखरखाव की जिम्मेदारी दोनों में से किसी भी न रही।
अंग्रेजों के राजधानी में नागरिकों को पानी उपलब्ध करवाने की व्यवस्था को खत्म करने से स्थितियां बद से बदतर हुई। अंग्रेजों से पहले करीब 350 तालाब दिल्ली में थे। अंग्रेजों ने पहले की पानी को निशुल्क उपलब्ध करवाने की विकेन्द्रीकृत प्रणाली को खत्म कर दिया। इतना ही नहीं, पानी पिलाने को समाज सेवा मानने के बदले अपनी कर व्यवस्था में उसका भी मोल तय कर दिया।
अंग्रेजों ने प्राकृतिक संसाधनों के सार्वजनिक उपयोग के स्थान पर सभी संसाधनों पर अपना दावा किया। इसका नतीजा पानी के सभी स्तरों पर कराधान का एक विषय बनने के रूप में सामने आया।
1817 में अंग्रेजों ने दिल्ली में नहर का पुर्ननिर्माण करवाया, जिससे 1820 में फिर से शहर में नहर से पानी की आपूर्ति होने लगी। उस समय तक धनी लोगों ने अपने उपयोग के लिए यमुना से पानी लेना शुरू कर दिया था। 1846 में एक अंग्रेज अधिकारी एलेनबरो ने लाल किले के लाहौरी गेट के दक्षिण और दिल्ली गेट के बीच में एक तालाब बनवाया जो लाल डिग्गी के नाम से मशहूर था।
1857 की आजादी की पहली लड़ाई के बाद दिल्ली पर अंग्रेजों के दोबारा कब्जा हो गया। फिर बदले की भावना में अंग्रेजों ने लाल किले के आस पास बने सभी महलों और हवेलियों को ढहा दिया गया। इस तरह धीरे-धीरे गाद भर जाने और नहर से पानी की आमद खत्म होने के कारण एलेनबरो का तालाब बंद हो गया।
दिल्ली में अंग्रेज आबादी की स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को दूर करने के हिसाब से पहली बार सिविल लाइन्स और छावनी क्षेत्र के लिए अलग से जल और मल की निकासी की व्यवस्था की गई। सन् 1869 में दिल्ली म्युनसिपिल कमेटी ने एक सिविल इंजीनियर क्रास्टवेट के राजधानी के लिए जल आपूर्ति योजना के एक प्रस्ताव को मंजूरी दी। वह नदी के किनारे पर डूब क्षेत्र में कुंए बनाकर पानी की नियमित आपूर्ति करना चाहता था, जहां कि शुद्ध पानी की अंतर्धारा पूरे साल उपलब्ध थी।
अंग्रेजी राज में दिल्ली में नल लगने लगे थे। यही कारण है कि तब के विवाह गीतों में उसका विरोध दिखाई देता है। बारात जब पंगत में बैठती तो स्त्रियां गीत गाती थीं, फिरंगी नल मत लगवाय दियो। लेकिन नल लगते गए और जगह-जगह बने तालाब, कुएं और बावड़ियों के बदले अंग्रेजों के वॉटर वर्क्स से पानी आने लगा। अहमद अली की ”ट्विलाइट इन दिल्ली” के अनुसार, तीसरे दिल्ली दरबार में शिविरों में पानी की व्यवस्था के लिए ८० किलोमीटर की पानी की मुख्य लाइन और ४८ किलोमीटर की पानी की पाइप लाइनें डाली गईं।
तब अंग्रेजों ने केवल आज की पुरानी दिल्ली को ही पानी उपलब्ध करवाया था। इस तरह, राजधानी की एक तिहाई आबादी पीने के पानी की व्यवस्था से वंचित थी। यह अंग्रेजी राज की सामाजिक विद्रूपता थी, जहां उपनिवेशवादी शासन में शासक (गोरे अंग्रेज) और शासित (काले भारतीय) में नस्लीय और व्यवहार के स्तर पर भेदभाव गहरा था।
No comments:
Post a Comment