Tuesday, June 26, 2012
slavery and language
'यह बात गलत है कि पलासी की लडाई में थोडे से अंग्रेजों ने हिंदुस्तान जीता। उस दिन उनकी जीत अवश्य हुई थी, परंतु वह जीत हिंदुस्तान की पराजय नहीं थी। जिस दिन और जिस जगह निश्चित रूप से हमारी हार हुई, इसका उल्लेख स्कूल के इतिहास में नहीं मिलता। इतिहास की यह बहुत बडी घटना बाह्य क्षेत्र में घटित ही नहीं हुई। इसका मुख्य क्षेत्र हमारा मस्तिष्क और हृदय था।...हमारे इस आभ्यांतर की विजय, विजेता की भाषा द्वारा ही संभव थी।' (झूठ-सच) आज ऐसा लगता है कि इस किस्म की बौध्दिक पराजय, गुलामी या आत्मविसर्जन लज्जा का नहीं, गौरव का मामला है।
('अन्य भाषा से मोह': सियारामशरण गुप्त)
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