कभी जिंदगी के साथ तू भी गुनगुनाकभी जिंदगी के साथ तू भी मुस्कुरामाना की गम हैं बहुतेरेमुश्किलें भी कम नहीं है, घेरेदिल में फिर भी बढ़ने कि तमन्ना हैकभी जिंदगी के साथ तू भी गुनगुनाकभी जिंदगी के साथ तू भी मुस्कुराखोने-मिटने के डर को भगाना हैपहुँचना है सबके साथ, डाले हाथों में हाथफिर चाहे कितनी भी अँधेरी हो रातकभी जिंदगी के साथ तू भी गुनगुनाकभी जिंदगी के साथ तू भी मुस्कुराहासिल करना है,जी-ते-जी, यही पाना हैएक रास्ता है, एक सफ़र है,कभी जिंदगी के साथ तू भी गुनगुनाकभी जिंदगी के साथ तू भी मुस्कुराफिर भी मंजिल पर नजर हैकि कभी तो ख़त्म होगीजिंदगी कि ये दुश्वारियांकभी जिंदगी के साथ तू भी गुनगुनाकभी जिंदगी के साथ तू भी मुस्कुरा
Sunday, November 24, 2013
Life: A poem
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