‘‘शिव हमारी गाथाओं में बड़े यायावर हैं। बस जब मन में आया, बैल पर बोझा लादा और पार्वती संग निकल पड़े, बौराह वेश में। लोग ऐसे शिव को पहचान नहीं पाते। ऐसे यायावर विरूपिए को कौन शिव मानेगा ? वह भी कभी-कभी हाथ में खप्पर लिए। ऐसा भिखमंगा क्या शिव है ?”
-विद्यानिवास मिश्र, अपना अहंकार इसमें डाल दो शीर्षक से लिखे निबंध में शिवरात्रि पर
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