आखिर हंगामा क्यों है बरपा
आप चाहे कलाकार हो, खिलाडी हो या पत्रकार हर किसी को जिंदगी में सत्ता के दखल की जररूत पड़ती है । किसी को राज्यसभा के लिए तो किसी को मैगज़ीन में सम्पादक की कुर्सी हासिल करने के लिए । आज संतन को क्या सीकरी से काम कि बजाय सीकरी से ही सधे सब काम का जमाना है । कांग्रेस, भाजपा हो या क्षेत्रीय दल हरेक ने पत्रकारों को संसद तक पहुँचाया है और पदमश्री तथा पदमभूषण मिलने में 'रंग' कितना असरकारी होता है, उसका पता लगाना हो तो पिछले दस वर्षों पर गृह मंत्रालय में लगी आरटीआई को गूगल पर खोज ले, दिमाग की बत्ती जल जायेगी ।
Saturday, November 2, 2013
Media: Double Standards
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