1857 का जो स्वतन्त्रता संग्राम हुआ उसको अंग्रेज़ों ने लिख दिया 'गदर', क्या उस समय भारतीयों की अपनी सरकार चल रही थी, जिसके खिलाफ कोई विद्रोह किया गया. अंग्रेज़ के खिलाफ बगावत थी जिसको उन्होंने गदर कह दिया तो क्या हम भी उसको गदर कहेंगे ?
सावरकर ने सबसे पहले 1857 की लड़ाई को स्वतन्त्रता संग्राम कहा था, उन्होंने ब्रिटिश म्यूजियम में दस्तावेजों के आधार पर स्वतन्त्रता संग्राम कहा था. इस तरह दस्तावेजो के आधार पर अपनी बात कहने वालों को ब्रिटिशों ने प्रतिबंधित कर दिया और यहाँ तक कि उनको विद्वान मानने से ही इंकार कर दिया.
स्वामी श्रद्धानन्द ने गुरुकुल कांगड़ी में पहली बार भारत का युद्ध इतिहास लिखना प्रारम्भ किया, जयचंद विद्यासागर की पुस्तक लिखी, आचार्य भगवत दत्त की पुस्तक लिखी. उन्होंने बताया कि दुर्भाग्य से आजादी के भी भारतीय इतिहास को पश्चिमी दृष्टि से लिखना जारी रखा, सरकारी संरक्षण के स्वार्थ के चलते कुछ विद्वान तथ्यों से आंखे मूंदे रहे.
इसका दुष्परिणाम हम आज भुगत रहे हैं.
No comments:
Post a Comment