रचने-लिखने का सुख ऐसा होता है कि इसी सुख के मारे जीवन की असली पीड़ा, अपमान और एक सी दिनचर्या से होने वाली बोरियत से बच पाते हैं ।
और जिंदा रहते है कुछ रचने के लिए, अपने को खुद की नज़र में साबित करने के लिए "जिंदा" ।
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