Wednesday, January 22, 2014

Rebuilding of Somnath Temple (सोमनाथ मंदिर का पुनरुध्दार): K M Munshi


‘भविष्य को ध्यान में रखकर वर्तमान में कार्य करने की शक्ति मुझे अतीत के प्रति अपने विश्वास से ही मिली है। भारत की स्वतंत्रता अगर हमें ‘भगवद्गीता‘ से दूर करती है या हमारे करोड़ों लोगों के इस विश्वास या श्रध्दा को तोड़ती है, जो हमारे मंदिरों के प्रति उनके मन में है ओर हमारे समाज के ताने-बाने को तोड़ती है तो ऐसी स्वतंत्रता का मेरे लिए कोई मूल्य नहीं है। सोमनाथ मंदिर के पुनरुध्दार का जो सपना मैं हर रोज देखता आया हूं, उसे पूरा करने का मुझे गौरव प्राप्त हुआ है। इससे मेरे मन में यह एहसास और विश्वास उत्पन्न होता है कि इस पवित्र स्थल के पुनरुध्दार से हमारे देशवासियों की धार्मिक अवधारणा अपेक्षाकृत और शुध्द होगी तथा इससे अपनी शक्ति के प्रति उनकी सजगता और भी बढ़ेगी, जो स्वतंत्रता के इन कठिनाई भरे दिनों में बहुत आवश्यक है।”

- कन्हैयालाल मुंशी, प्रसिध्द पुस्तक पिलग्रमिज टू फ्रीडम में, जवाहर लाल नेहरू की सोमनाथ मंदिर के पुनरुध्दार की आपत्ति को लेकर लिखे एक पत्र में

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