Tuesday, January 14, 2014

Old Days through a poem book (देह की भाषा से नेह की भाषा तक)


इस रविवार (12.01.2014) अपने संस्थान (आईआईऍमसी) के अनेक साथियों को आईआईसी के सभागार में एक साथ देखकर मन प्रसन्न हो गया। मौका था, अपने ही समय के अंग्रेजी बैच के सुरेश कुमार वशिष्ठ के काव्य संग्रह "देह की भाषा" के नामवर सिंह के हाथों लोकार्पण का। 

अब ओड़िसा काडर का वरिष्ठ आईएएस अधिकारी सुरेश का यह कवि रूप कम से कम मेरे लिए तो एक अजूबा ही था और शायद हमारे आईआईऍमसी के दूसरे संगी-साथियों के लिए भी हो. मैंने सुरेश से संस्थान में उधार लेकर पहली बार "सेकंड सेक्स" किताब पढ़ी थी. उस दौर में भी कभी 'भाषा' की दीवार उसके और हिंदी वालों के बीच में नहीं रही।  

शायद यही कारण था कि कार्यक्रम में सुरेश के नौकरशाह साथियों कि टक्कर में हिंदी के पत्रकार उपस्थित थे। हमारे ही बैच के सत्यप्रकाश, जो कि अब हिंदुस्तान टाइम्स में लीगल बीट का हेड है, ने धन्यवाद् ज्ञापन दिया।
वैसे सारे कार्यक्रम की धुरी था अमरेन्द्र किशोर और सूरज की भूमिका भी उल्लेखनीय थी।

आईआईऍमसी के हेमंत जोशी सर के अलावा उनकी पत्नी मंजरी मैडम, संगीता तिवारी (एबीपी), संजय किशोर-राजीव रंजन (दोनों एनडीटीवी ), पवन (जिंदल ग्रुप), प्रमोद चौहान-मिहिर (आज तक), अवधेश सिंह, राजेश कुमार (एड-पीआर) के अलावा हमारे बैच के कुछ सीनियर और जूनियर के अलावा नाट्य आलोचक संगम पाण्डेय (हंस), अजित राय (दूरदर्शन की मासिक पत्रिका के संपादक) भी थे।

हिंदी बैच के अपने साथियों को देखकर लगा कि शायद ही हम लोगों में से किसी ने किसी भी तरह हिंदी और हिंदी वालों को कभी भी किसी स्तर पर कमतर नहीं माना और शायद इसी का परिणाम है कि ईश्वर ने भी सब पर अपनी कृपा रखी, यहाँ तक कि पीटीआई में भाषा में कम करते हुए अंग्रेजी सेवा में स्टोरी करने वाला मैं हिंदी का पहला पत्रकार था नहीं तो वह भी मामला उल्टा ही था कि अंग्रेजी से हिंदी में ही खबरें अनूदित होती थी।

खैर बात, कविता के पुस्तक के विमोचन के थी, निर्मल वर्मा के शब्दों में समाप्त करुँ तो, "हिन्दी में कई महान एवं अच्छे लेखक हैं लेकिन उनके पास अपने गम्भीर गद्य तथा पद्यों का समझने के लिए पर्याप्त तथा संवेदनशील पाठकों की कमी है।" उम्मीद है कि यह पुस्तक इस क्रम को 'तोड़ेगी'।

No comments:

First Indian Bicycle Lock_Godrej_1962_याद आया स्वदेशी साइकिल लाॅक_नलिन चौहान

कोविद-19 ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। इसका असर जीवन के हर पहलू पर पड़ा है। इस महामारी ने आवागमन के बुनियादी ढांचे को लेकर भी नए सिरे ...