China war and Communists (चीन-भारत युद्ध और कम्युनिस्ट)
१९६२ में तो भारत-चीन युद्ध हुआ ही था और उसमें बहुत सारे कॉमरेड चीन के साथ थे। उनका कहना था कि यह एक समाजवादी यानी चीन और पूंजीवादी यानी भारत की ताकत के बीच संघर्ष है।
यह सीधा देशद्रोह था, लेकिन वामपंथियों की राजनीति में द्रोह और निष्ठा के शायद अलग पैमाने होते हैं। श्रीपाद अमृतढांगे, ए. के. गोपालन और ई एम एस नंबूदरीपाद ने भारत का साथ दिया। उधर दूसरी ओर बी टी रणदि्वे, पी सुंदरैया, पी. सी. जोशी, बास पुन्नइैया, ज्योति बसु और हरकिशन सिंह सुरजीत उस समय खुलेआम चीन का समर्थन कर रहे थे।
एकमात्र अजय घोष थे, जो तटस्थ भूमिका में थे। कुल मिला कर बंगाल के ज्यादातर कम्युनिस्ट नेता चीन का समर्थन करने में जुटे हुए थे और इनमें से कई को पकड़ कर जेल भी भेज दिया गया।
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