गंधक की बावली_3/06/2017 |
Sunday, June 4, 2017
ghandak bavali_दिल्ली की सबसे पुरानी बावली गंधक-बावली
बावलियां गहरे कुंए होते हैं जिनमें पानी तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां बनाई जाती हैं। किसी समय में राजधानी में करीब सौ बावलियां होती थीं लेकिन आज के दौर में केवल दो दर्जन बावलियां ही शेष हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की पुस्तक “दिल्ली और उसका अंचल” के अनुसार, महरौली में और उसके आसपास अनगढ़े पत्थरों से अनेक सीढ़ीयुक्त बावलियां बनवाई गईं, जिनमें अन्यों की तुलना में दो अधिक प्रसिद्व हैं। तथा-कथित गंधक की बावली, जिसके पानी में गंधक की गंध है, अधम खां के मकबरे से लगभग 100 मीटर दक्षिण में स्थित हैं। गंधक की बावली पानी प्रचुर मात्रा में सल्फर पाए जाने के कारण गंधक की बावली कहलाती है। यह विश्वास किया जाता है कि इसे गुलाम वंश के सुल्तान इल्तुमिश (1211-36) के शासनकाल में बनवाया गया था।
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