Saturday, June 24, 2017

19 century civil line_delhi_indian family_सिविल लाइंस_भारतीय परिवार

Dainik Jagran_24062017



तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के निजी सलाहकार-सचिव पी.एन. धर की पत्नी शीला धर ने अपनी पुस्तक "रागा एन जोश" में 19 वीं शताब्दी की दिल्ली के सिविल लाइंस में भारतीय परिवारों के बसने का विशद वर्णन किया है। 

इस पुस्तक में शीला धर लिखती है कि 1920 के दशक में मेरे वकील दादा अपने बड़े संयुक्त परिवार के साथ पुराने दिल्ली की चैलपुरी की भीड़भाड़ वाली गलियों से निकलकर सिविल लाइंस गए थे।

पुस्तक के अनुसार, यहां के विशाल और सुरुचिपूर्ण इलाके में बागों के बीच में अंग्रेज शैली के करीब 24 बंगले बने थे, जिनमें अंग्रेज सरकार में उच्च अधिकारी रहते थे। छांवदार लंबे वृक्षों से घिरे ये बंगले घुमावदार गलियों से जुड़े हुए थे। इन घरों में आने वाले पुरानी दिल्ली के रिश्तेदार अंग्रेजियत भरे रहन-सहन को लेकर चकित होते थे और हर किसी के मन में ऐसी जिंदगी जीने की तमन्ना थी।

शीला धर बताती है कि इन घरों में सब्जी की भुजिया और पराठे के नाश्ते की जगह अंडा, टोस्ट और जैम होता था। मेहमानों को चाय के साथ समोसे और बरफी की बजाय केक और सैंडविच परोसे जाते थे तो शाम को बैठकखाने में केवड़ा शर्बत के स्थान पर स्कॉच व्हिस्की और सोडा होता था। पुरुष वर्ग घर के आंगन में शतरंज और गंजिफा (ताश जैसा खेल) खेलने की बजाय क्लबों में टेनिस,बिलियर्ड्स और ब्रिज खेलता था।

शीला धर अनुसार, मेरे दादा को मिली राय बहादुर की पदवी एक सम्मान की प्रतीक थी। मेरे दादा को उनके असली नाम राज नारायण की बजाय राय बहादुर के नाम से ज्यादा जाना जाता था। हमारे बंगले का डिजाइन मेरे दादाजी ने खुद ही बनाया था, जिसमें बड़े कमरों, पूजा घर, रसोईघर, भंडार और भोजन कक्ष था। भोजन कक्ष में घर के सभी साठ सदस्य एक ही समय में बैठकर भोजन कर सकते थे। 


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