नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः । न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ।।
आज के कलियुग में भारत, नहीं माफ़ कीजिएगा इंडिया, की रक्षा के नए स्वयंभू अवतार के आगमन से पूर्व अरक्षित देश और निर्बल जनता-जनार्दन की सुरक्षा तो राम-भरोसे ही थी।
अब एक आसमानी किताब, जैसे बाइबिल, की तरह देश को बचाने का सन्देश जमीन पर कितना फैलता-फलता है, यह तो "हम लोग" नहीं समय ही बताएगा।
यह अनायास नहीं है कि इसी भारत भूमि के "पुरा-ज्ञान" से एक श्लोक का स्मरण हो आया, अब यह मत पूछना कि "पुराण" से क्यों नहीं?
कालो वा कारणं राज्ञो राजा वा कालकारणम्। इति ते संशयो माभूत् राजा कालस्य कारणम्॥
अर्थात काल (परिस्थिति) राजा का कारण है, या राजा काल का कारण है, इस संबंध में संशय मत रखो; राजा (ही) काल का कारण है ।
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