Saturday, June 24, 2017

najafgarh drain_from water source to dirt water_नजफगढ़ नाले की व्यथा-कथा

June 24 2017, Dainik Jagran 




दिल्ली में यमुना नदी में मिलने वाले तीन प्रमुख प्राकृतिक जल निकासी बेसिन (नाले) हैं, जिनमें नजफगढ़ बेसिन सबसे बड़ा है। नजफगढ़ नाला दिल्ली में सबसे बड़ा नाला है। यह हरियाणा से दिल्ली के दक्षिण-पश्चिम भाग में प्रवेश करता है। दिल्ली के दक्षिण-पश्चिम जिले के अपने प्रारंभिक चरण में यह नाला अपने साथ बाढ़ का पानी, हरियाणा का अपशिष्ट जल और आस-पास के जलग्रहण क्षेत्र का पानी बहाकर लाता है।


दिल्ली की नई पीढ़ी इस बात से अनजान ही है कि राजधानी में यमुना नदी के बाद पानी का सबसे बड़ा जल स्रोत नजफगढ़ झील होती थी। इतना ही नहीं, आज जल प्रदूषण के लिए कुख्यात नजफगढ़ नाला कभी इस झील को नदी से जोड़ने वाला माध्यम था। यह नाला कभी राजस्थान की राजधानी जयपुर के जीतगढ़ से निकलकर अलवर, कोटपुतली से वाया हरियाणा के रेवाड़ी और रोहतक से होते हुए नजफगढ़ झील व वहाँ से राजधानी की यमुना नदी से मिलने वाली साहिबी या रोहिणी नदी हुआ करती थी। इस नदी के माध्यम से नजफगढ़ झील का अतिरिक्त पानी यमुना नदी में मिलता था।


वर्ष 1912 में जब राजधानी के ग्रामीण क्षेत्रों में बाढ़ आई तो अंग्रेज सरकार ने आपात स्थिति में नजफगढ़ नाले को गहराकर उससे पानी की निकासी का प्रबंध किया। इस निकासी के कारण ही उसके बाद इसका नाम "नजफगढ़ लेक एस्केप" पड़ा।


यही से नजफगढ़ झील और प्राकृतिक नहर के नाले में बदलने की व्यथा-कथा शुरू हुई। यह कहना गलत नहीं होगा कि इसे नाला तो दिल्ली के विकास के साथ बना दिया गया है। उसी का नतीजा था कि वर्ष 2005 में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नजफगढ़ नाले को भारत के सबसे अधिक प्रदूषित 12 वेटलैंड में से एक बताया। यहां तक कि हरियाणा की पिछली कांग्रेस सरकार ने तो राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण में एक मुकदमे के दौरान दाखिल किए अपने हलफनामे में नजफगढ़ झील के होने को ही इंकार करते हुए उसे बारिश के अतिरिक्त जल के जमा होने का निचला हिस्सा मात्र बताया। जिस पर न्यायाधीश ने सरकार से ही पूछ लिया था कि यदि यह झील नहीं है तो आखिर झील किसे कहेंगे।


आज नजफगढ़ नाला यमुना नदी में मिलने से पहले 57.48 किलोमीटर की कुल दूरी में से 30.94 किमी की दूरी दक्षिण पश्चिम जिले में ढासा से लेकर ककरौला तक तय करता है। ढासा से लेकर ककरौला तक, 28 छोटे नाले और ककरौला के बाद लगभग 74 छोटे-बड़े नाले नजफगढ़ नाले में शामिल होते हैं।




यही कारण है कि अब यह नाला अब बरसाती पानी की निकासी की बजाए शहर की गंदगी को बहाने का माध्यम बन चुका है। यह नाला अपने आस-पास रहने वालों के लिए बीमारियों और सड़ांध का एक प्रमुख कारण है। यमुना नदी को मैली करने का यह सबसे बड़ा कारण है। नजफगढ़ नाले के माध्यम से झील का अतिरिक्त पानी बहकर यमुना में जाता था। इस झील में भर जाने वाले बरसाती पानी की निकासी के लिए यह नाला पर्याप्त साबित नहीं हो रहा है। पानी की निकासी की यह व्यवस्था होने के बाद भी इस झील के आस-पास के इलाके में पानी भरा रह जाता है।

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