गीता के कर्म के दर्शन से प्रेरणा लेते हुए तिलक अपनी राजनीतिक विचारधारा को बौद्धिक आयाम देते हैं। वेदांत के दर्शन से उत्प्रेरित होकर विवेकानंद ने न केवल हिंदू धर्म के मानवीय पक्ष को और भी सशक्त किया बल्कि पूरे देश के पुनर्जागरण और दरिद्रनारायण की सेवा के लिए संगठन की नींव डाली।
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