पहली बार कोठे की सीढ़िया चढ़ने वाला 'आम आदमी', 'ईमानदार' और 'चरित्रवान' होता है पर यह बात तो इस से तय होती है कि वह सीढ़िया लडख़डाते हुए कदमों से नीचे उतरता है, बिना पतलून के आता है या वापिस आता ही नहीं है. हर रोज़ कोठे के बगल की गली से गुजरते हुए मन में ताकाझांकी की मंशा और दूसरों को दिखाने के लिए मुँह में गाली लिए गुजरना तो बहुत आसान है.
Monday, December 9, 2013
Prostitution:Politics
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