Friday, December 13, 2013

Tulsidas


तुलसीदास ने ‘बेचहिं बेद धर्म दुहि लेहिं’ और ‘परहित सरस धर्म नहीं दोऊ’ लिखकर बिक्री वाले धर्म से सच्चे लोकधर्म को अलग किया था।

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