युद्ध में सर्वस्व प्राण-पण लड़ना ही धर्म है, जिसका पालन वीर अभिमन्यु ने किया। सातवें द्वार से बाहर निकलने का मार्ग ना जानते हुए भी मृत्यु का वरण इस तथ्य को सिद्ध करता है।ऐसे में फिर मृत्यु हिमालय के उत्तुंग शिखरों पर हो या चक्रव्यूह के घेरे में, गौण है।अगर जन्म प्रारब्ध है तो मृत्यु अंत, कोई भी प्रकृति से परे नहीं, चाहे वह नर (अर्जुन) हो या नारायण (कृष्ण)।
Photo Source: The Chakravyuha and Military Formation, Scene from the Mahabharata War, Belur, Halebid, Karnataka

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