‘‘इसका उद्देश्य, जैसा कि अनेक वक्ताओं ने कहा है, राष्ट्र के लिए ऐसे योग्य लोक सेवक तैयार करना है जो सभी लोगों की समान सेवा करें तथा सभी समुदायों और कुल मिलाकर राष्ट्र के हितों का सदैव ध्यान रखें।’’-पंडित हृदय नाथ कुंजरू1926 में सर रोस बार्कर की अध्यक्षता में पहले लोक सेवा आयोग की स्थापना की गई थी। इस आयोग का सीमित परामर्शी कार्य था। इसके पश्चात, गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट, 1935 के तहत संघीय लोक सेवा आयोग की स्थापना की गई थी। इसमें प्रांतीय स्तर पर लोक सेवा आयोगों के गठन के प्रावधान निहित थे।
भारत के स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद, भारत के संविधान के अनुच्छेद 315 के तहत संघ लोक सेवा आयोग की स्थापना की गई थी। संविधान सभा ने संघ लोक सेवा आयोग को संवैधानिक दर्जा प्रदान करने में एक प्रमुख और दूरदर्शी भूमिका निभाई क्योंकि इसने सिविल सेवाओं के दक्षतापूर्ण ढंग से संचालित संवर्गों पर आधारित लोक प्रशासन उपलबध करने के लिए एक स्वायत्त निकाय की आवश्यकता महसूस की थी।
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