श्रुति र्विस्मृतयोऽपि भिन्नाःनैको मुनि र्यस्य वचः प्रमाणम् ।
धर्मस्य तत्त्वं निहितं गुहायाम्महाजनो येन गतः स पन्थाः ॥
श्रुति में अलग-अलग कहा गया है; स्मृतियाँ भी भिन्न-भिन्न कहती हैं; कोई एक ऐसा मुनि नहीं केवल जिनका वचन प्रमाण माना जा सके; (और) धर्म का तत्त्व तो गूढ है; इस लिए महापुरुष जिस मार्ग से गये हों, वही मार्ग लेना योग्य है । (युधिष्ठिर-यक्ष संवाद)
Photo source: Greek scroll supported by Indian Yaksha, Amaravati, 3rd century CE,Tokyo National Museum.
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