Sunday, May 7, 2017

Delhi_age old_water resources_Anangtal baoli_अनंगताल बावली_अनंग पाल द्वितीय

दैनिक जागरण, 07/05/2017



दिल्ली की सबसे पुरानी बावली अनंगताल बावली कुतुब मीनार के पास बनी हुई है। दसवीं शताब्दी में तोमर वंश के राजपूत राजा अनंग पाल द्वितीय ने इसे बनवाया था। महरौली स्थित लौह स्तंभ शिलालेख से पता चलता है कि अनंग पाल द्वितीय ने दिल्ली को बसाया और लालकोट को वर्ष 1052-1060 के बीच बनवाया। अंग्रेज़ इतिहासकार ए. कनिंघम के अनुसार, अलाउद्दीन खिलजी (1296-1316) के समय अलाई मीनार के निर्माण के दौरान मोर्टार के लिए पानी अनंगताल से मंगवाया जाता था।
यही कारण लगता है कि परवर्ती शासकों ने भी महरौली में और उसके आसपास अनगढ़े पत्थरों से अनेक सीढ़ीयुक्त बावलियां बनवाई गईं।



उपिन्दर सिंह की पुस्तक “दिल्लीः प्राचीन इतिहास” के अनुसार, अनंगताल के ऊपरी हिस्से का आंशिक रूप से दक्षिण-पश्चिमी कोना ही दिखलाई पड़ता है। इस खुले भाग को देखने से यह लगता है कि यहां किसी प्रकार की सीढ़ीनुमा सरंचना थी या घेरनेवाली दीवार, जो कुंड के चैड़े और लंबे चबूतरे से जुड़ी थी। इस संरचना से यह भी अनुमान लगाया जा सकता है कि इसके मूल प्रारूप में अनंगपाल द्वितीय ने कालांतर में परिवर्तन किया था। 



चूने के क्रंकीट प्लास्टर के बने चौड़े चबूतरे को लोहे के शिकंजे से आधे तराशे गए शिलाखंडों को जोड़ कर मजबूती दी गई थी और इसके ठीक ऊपर की सीढ़ी के किनारे की दीवार को लोहे के शिकंजे से कसा गया था।


राजपूत काल में ताल के निर्माण में विशेष रूप से कारीगरी के उत्कीर्ण निशानवाले शिलाखंड लगाए गए थे। इन पर की गई कारीगरी में स्वास्तिक, त्रिशूल, चार भाग में बंटे वृत्त, नगाड़े अंक, अक्षर, वृश्चिक, और तीर-धनुष के निशान देखे जा सकते हैं जो इस काल के ही मध्यप्रदेश के भोजपुर के एक मंदिर में पाए गा हैं।


ऐसे ही निशान कुतुब के पास कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद के पुनप्र्रयुक्त पत्थर की पट्टियों पर मौजूद हैं। इन शिलाखंडों में से एक पर नागरी लिपि में उत्कीर्ण ‘पिनासी’ नाम मिला है। इन साक्ष्यों से स्पष्ट है कि यह ताल ग्यारहवीं सदी के मध्य में अनंगपाल द्वितीय द्वारा बनवाया गया जिसका नाम इसके साथ-साथ चर्चा में आता है।



1 comment:

Shri Krishan Jugnu said...

हमें हर जल स्रोत का इसी तरह दस्तावेज तैयार करना चाहिये। इस प्रयास के लिए आभार

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