दैनिक जागरण, 07/05/2017 |
Sunday, May 7, 2017
Delhi_age old_water resources_Anangtal baoli_अनंगताल बावली_अनंग पाल द्वितीय
चूने के क्रंकीट प्लास्टर के बने चौड़े चबूतरे को लोहे के शिकंजे से आधे तराशे गए शिलाखंडों को जोड़ कर मजबूती दी गई थी और इसके ठीक ऊपर की सीढ़ी के किनारे की दीवार को लोहे के शिकंजे से कसा गया था।
राजपूत काल में ताल के निर्माण में विशेष रूप से कारीगरी के उत्कीर्ण निशानवाले शिलाखंड लगाए गए थे। इन पर की गई कारीगरी में स्वास्तिक, त्रिशूल, चार भाग में बंटे वृत्त, नगाड़े अंक, अक्षर, वृश्चिक, और तीर-धनुष के निशान देखे जा सकते हैं जो इस काल के ही मध्यप्रदेश के भोजपुर के एक मंदिर में पाए गा हैं।
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1 comment:
हमें हर जल स्रोत का इसी तरह दस्तावेज तैयार करना चाहिये। इस प्रयास के लिए आभार
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