मंगल ग्रह पर पहले प्रयास में पहुचने वाले भारत में, भारतीय क्यों किसी भी दुर्घटना के बाद प्राथमिक चिकित्सा उपचार से भी वंचित रह जाते हैं ? और फिर ईश्वर ने उन्हें इतना ही जीवन दिया था, कह कर हम भी इस सामूहिक पाप से मानो हाथ दो लेते हैं जैसे शमशान से मुर्दा फूकने के बाद हाथ धोते हैं.
क्या बिहार की इस दुर्घटना और आज के बिहार के लिए सिर्फ बिहारी जिम्मेदार हैं? आखिर कोई अपना घर, गांव, कस्बा, शहर, जिला और प्रदेश छोड़ कर महानगर के सड़के नापने मर्जी से तो निकलेगा नहीं !
अब इसके लिए योजना आयोग की तालाबंदी को जायज ठहराया जाना बेशक ज्यादा होगा पर आजादी के तुरंत बाद वित्तीय रूप से सबसे बेहतर राज्य का दर्जा पाने वाले प्रदेश की दुर्दशा के लिए अकेले किसी एक राजनीतिक दल, जाति, व्यक्ति, इलाके, आंदोलन और क्रांति को जिम्मेदार बताना बेहद बचकाना होगा.
पर सवाल से बड़ा जवाब देने में जिम्मेदारी का होना है न कि केवल किताबी खानापूर्ति.
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