मैं तो बस शौक के लिए पढ़ता हूं और जो याद रह जाता है या याद आ जाता है, उसे मित्रों से साँझा कर लेता हूं, "ज्योत से ज्योत जलाते चलो" के अनुरूप.अब जहां तक तत्व और तर्क की बात है तो वह मैदान दिग्गजों के लिए खुला है. इसी बहाने मेरा भी थोड़ा ज्ञान वर्धन हो जाता है.
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