Tuesday, October 28, 2014

शहर_city




शहर हर लेता है अपना वजूद, 
बचे रहे अगर इसके बावजूद 
खुशनसीब हो जो अभी तक हो जिन्दा, 
नहीं तो यहाँ कैसा खुदा, कौन सा बंदा ?

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