Thursday, October 16, 2014

लिखना_writing




मैं तो खुद अपढ़ हूं, आज भी लिखने की कोशिश करता हूं, और बहुत संकोच के साथ लिखता हूं. वह भी तब जब रहा नहीं जाता, मुझे नहीं लगता पत्रकार और नेता किसी प्रशिक्षण से या सिखाकर बनाए जा सकते हैं. इसके लिए लोगों से बेवजह बात करना, खूब पढ़ना ही जरूरी है, जिसका आजकल घोर अभाव ही नज़र आ रहा है.

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