Monday, June 27, 2016

परंपरा और भाषा से प्रकाश_rising light_tradition_langauage

मेरा कुछ नहीं, मैं तो बस बीन लेता हूँ फूल। 

अपनी परंपरा और भाषा से। 

नए अर्थ-रूप को समझने की कोशिश में। 

अज्ञेय की कविता 'हरा अंधकार' के शब्दों में, "प्रकाश मेरे अग्रजों का है कविता का है, परम्परा का है, पोढ़ा है, खरा है : अन्धकार मेरा है, कच्चा है, हरा है।"

मेरी अल्प बुद्धि-ज्ञान से जो समझ पता हूँ, बता देता हूँ। न मेरा बुद्धिजीवी होने का दावा है न ही बनने की इच्छा। मन होता है सो पढ़ता हूँ, मर्जी होती है सो लिखता हूँ जो समझ में आता है सो साझा कर लेता हूँ। न इससे ज्यादा न इससे कम।

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