Tuesday, June 28, 2016

self projection of image_आभासी दुनिया की आत्म मुग्धता


आभासी दुनिया में अपनी पाक कला से घर की गैलरी से विहंगम दृश्य तक की आत्म छवि और पढ़ाई से लेकर पढ़ने की आत्म मुग्धता के भाव से ग्रसित मीडियाकार (या मेडिओकर, यह आप तय करें) भी अब छवि निर्माण के विरुद्ध लाल झण्डा बुलंद कर रहे हैं।

अगर वैचारिक रतौंदी की बात करेंगे तो कहेंगे मैं किस पर लिखूंगा, किस पर नहीं यह तो मैं ही तय करूंगा, आप नहीं।

आप पंत प्रधान पर कहे तो लोकतान्त्रिक देश का तकाजा और दूसरे उन पर कहें तो कर्ण की भांति पांत से ही बाहर निकालने का वादा!

बुद्धि से जीविका कमाने वाले ऐसे बुद्धिजीवि से तो बलिहारी!

पता नहीं क्यों अचानक यही पंक्ति याद आ गयी !

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरो पवन-कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार।


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