हुगली के एंड्रयूज के नाम से मशहूर एक किताब बेचने वाले ने वर्ष 1778 में एन. बी. हालहेड की "ए ग्रामर ऑफ़ बंगाली लैग्वेज" शीर्षक वाली पुस्तक को प्रकाशित किया था। मजेदार बात यह है कि करीब २५६ पृष्ठ वाली इस किताब में एक पेज पर किताब का विज्ञापन भी था, जिसमें किताब की जिल्दबाज़ी से संबंधित बात छपी हुई थी।
यह पहली किताब थी, जिसमें एक भारतीय भाषा बंगाली के अक्षर छापे के आकार में मुद्रित किए गए थे। भारतीय भाषा के शब्दों को छापने वाले छापेखाने का नाम था, "हुगली इन बंगाल"।
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