‘खुशी और गम, दोनों जरूरी और फायदेमंद हैं, के बीच में फर्क और मौत या गुजर जाने की बात...यह एक जैसी ही है और ऐसे ही जिन्दगी भी। 1889 के साल में विन्सेंट (विलेम वैन गो) ने अपने भाई थियो को एक खत लिखा था।
“प्रिय विन्सेन्ट! मेरी यह तमन्ना है कि मैं तुम्हारे वक़्त में पैदा हुआ होता! काश मैं तुमसे मिल पाता! काश यह मुमकिन होता कि मैं तुम्हें जिन्दगी को तुम्हारी तस्वीरों में नहीं, बल्कि हकीकत में दिखा पाता! मुझे वजूद को खत्म कर देने वाले अकेलेपन से अचंभा है! मुझे इस बात ज्यादा हैरानी है कि अगर तुम्हारी मौत नहीं हुई होती तो शायद दुनिया तुम्हारे काम के कभी वाकिफ नहीं हो पाती! तुम्हारा हर रंग, हर लकीर, हर तस्वीर इंसानियत को एक तोफहा है! सच में तुम्हारी कमी बेहद खल रही है...
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