Writing of Gandhian writer Dharmpal_ गांधी दृष्टि लेखक धर्मपाल का लेखन
यूरोप और अमेरिका की तो प्लेटो और अरस्तू के समय से ही मान्यता है कि दासत्व ही साधारण मानव समाजों के लिए उचित व्यवस्था है। यूनानियों और यहूदियों के ओल्ड टेस्टामेंट के हिसाब से (जिसे ईसाई व इस्लाम दोनों मानते हैं) मनुष्य-मनुष्य में भी फर्क है। कुछ थोड़े से मनुष्य ही मनुष्य माने जा सकते हैं, बाकी तो पशु व शेष प्रकृति के समान है। आवश्यकता होने पर राजपुरुष उन्हें बगैर किसी कानूनी व्यवस्था में पड़े मार सकते हैं, जैसे कि पागल कुत्ते को।
-धर्मपाल, भारत की पहचान, धर्मपाल की दृष्टि में
भारत केवल कृषि प्रधान देश ही नहीं था। सन् 1750 के आसपास भारत और चीन के कुल विश्व का 73 प्रतिशत औद्योगिक उत्पादन होता था। सन् 1820 तक भी यह उत्पादन 60 प्रतिशत तक रहा है। परन्तु इसके बाद लगातार गिरावट आई।
No comments:
Post a Comment