निराला ने श्री ‘म‘ लिखित श्रीरामकृष्णवचनामृत का अनुवाद किया है । निराला ने अनुवाद नहीं किया है-पूजा की है, भाव विभोर होकर ! तन्मय होकर ।
(फणीशवरनाथ रेणु चुनी हुई रचनाएं भाग-तीन)
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