Wednesday, January 9, 2013
Amritlal Nagar:conversion
स्टेनले राइस ने अपनी पुस्तक ‘हिन्दू कस्टम्स एण्ड देयर ओरिजन्स’ में यह भी लिखा है कि अछूत मानी जाने वाली जातियों में प्रायः वे जातियां भी हैं, जो विजेताओं से हारीं और अपमानित हुईं तथा जिनसे विजेताओं ने अपने मनमाने काम करवाए थे।
संयोगवश लखनऊ के उत्साही समाजसेवी श्री अच्छेलाल वाल्मीकि तथा हरिजन सेवक संघ, दिल्ली के पण्डित चिन्तामणि वाल्मीकि एम.ए. की बातों से भी मुझे स्टेनले राइस के कथन का सत्याभास मिला। पण्डित चिन्तामणि वाल्मीकि (राउत मेहतर) ने मुझे एक पुस्तक ‘पतित प्रभाकर’ अर्थात् मेहतर जाति का इतिहास पढ़ने को दी। यह पुस्तक गाजीपुर के श्री देवदत्त शर्मा चतुर्वेदी ने सन् 1925 में लिखी थी और इसे चिन्तामणि जी के पितामह श्रीमान् वंशीराम राउत (मेहतर) मिलमिल तालाब, गाजीपुर, ने 1931 में अपने खर्च से प्रकाशित करवाया था।
इस छोटी-सी पुस्तक में ‘भंगी’, ‘मेहतर’, ‘हलालखोर’, ‘चूहड़’ आदि नामों से जाने गए लोगों की किस्में दी गई हैं, जो इस प्रकार हैं नाम-जाति-भंगी—वैस, वैसवार, बीर गूजर, (बग्गूजर) भदौरिया, बिसेन, सोब, बुन्देलिया, चन्देल, चौहान, नादों, यदुबंशी, कछवाहा, किनवार, ठाकुर, बैस, भोजपुरी राउत, गाजीपुरी राउत, गेहलौता (ट्राइब एण्ट कास्ट आफ बनारस)मेहतर-भंगी-हलाल-खरिया-चूहड़—गाजीपुरी राउत, दिनापुरी राउत, टांक (तक्षक) गेहलोत, चन्देल, टिपणी। इन जातियों के जो यह सब भेद हैं वह सबके सब क्षत्री जाति के ही भेद या किस्म हैं। (देखिए ट्राइब एण्ड कास्ट आफ बनारस, छापा सन् 1872)राजपूत—(8) गेहलोत (7) कछवाहा (14) चौहान (16) भदौरिया (26) किनवार (27) चन्देल (29) सकरवार (31) वैस (39) विसेन (53) यदुवंशी (99) बुन्देला (48) बड़गूजर पन्ना (222) पन्ना (235) दजोहा या जदुवंशी गूजर पन्ना (248) राउत।
जब भंगी या मेहतर जाति का भेद राजपूतों के जाति-भेद या किस्म से बिल्कुल मिलता है तो अब इनके क्षत्रिय होने में क्या सन्देह है ! (लेखक महादेव सिंह चन्देल, बनारस।)
(नाच्यौ बहुत गोपाल: अमृतलाल नागर)
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1 comment:
मुझे श्री देवदत्त शर्मा चतुर्वेदी जी की 1925 में लिखी पतित प्रभाकर की प्रति चाहिए। कृपया उपलब्ध कराने का तरीका बताएं
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