Saturday, May 18, 2013

तुम्हारे साथ रहकर:सर्वेश्वर दयाल सक्सेना


तुम्हारे साथ रहकर
अक्सर मुझे लगा है
कि हम असमर्थताओं से नहीं
संभावनाओं से घिरे हैं,
हर दीवार में द्वार बन सकता है
और हर द्वार से पूरा का पूरा
पहाड़ गुजर सकता है।
-सर्वेश्वर दयाल सक्सेना (तुम्हारे साथ रहकर)

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