Saturday, May 18, 2013

Iqbal from tarana-e-hind to tarana-e-milli





हो जाए ग़र शाहे ख़ुरासान का इशारा
सज्दा न करूँ हिन्द की नापाक ज़मीं पर।
-अल्लामा इक़बाल

इक़बाल को ऐसे ही पाकिस्तान का कौमी शायर नहीं माना जाता!

एक हम है कि अभी तक "सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा" से "चीनो अरब हमारा, मुस्लिम हैं हम वतन के, सारा जहाँ हमारा" वाले इकबाल के 
तराना-ए-हिंदी से तराना-ए-मिल्ली तक के सफ़र की तरफ आँखें मूँदकर बैठे हैं।

शायद इसी रतौंदी में हिंदुस्तान ने इकबाल पर डाक टिकिट तक निकाल दिया।

'संस्कृति के चार अध्याय' पुस्तक में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने इकबाल के लिए लिखा है ,"इकबाल की कविताओं से, आरम्भ में, भारत की सामासिक संस्कृति को बल मिला था , किन्तु, आगे चलकर उन्होंने बहुत सी ऐसी चीजें भी लिखीं जिनसे हमारी एकता को व्याघात पहुंचा.

तराना-ए-हिंदी से तराना-ए-मिल्ली तक का सफ़र

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा, हम बुलबुले हैं इसकी, यह गुलिस्ताँ हमारा
मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर करना, हिंदी हैं हम, वतन है हिन्दोस्तां हमारा.

चीनो अरब हमारा, हिन्दोस्तां हमारा, मुस्लिम हैं हम वतन के , सारा जहाँ हमारा.
तोहीद की अमानत, सीनों में है हमारे, आसां नहीं मितान, नामों - निशान हमारा.

No comments:

First Indian Bicycle Lock_Godrej_1962_याद आया स्वदेशी साइकिल लाॅक_नलिन चौहान

कोविद-19 ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। इसका असर जीवन के हर पहलू पर पड़ा है। इस महामारी ने आवागमन के बुनियादी ढांचे को लेकर भी नए सिरे ...