गिरिजाकुमार माथुर ने जब सन पचास के आसपास आकाशवाणी, इलाहाबाद के प्रभारी की हैसियत से निराला से रेडिओ पर काव्यपाठ का अनुरोध किया था तो स्थिति विषम हो गई थी । पहले तो उन्होंने फ़ीस के तौर पर हज़ार रुपयों की फर्माइश की, जबकि उन दिनों सामान्य अदायगी बीस रुपये हुआ करती थी । फिर जब श्री माथुर ने असमर्थता जताई तो वे बोले थे कि अब तो तुम दस हजार दोगे तो भी मैं नहीं आऊँगा ।' नतीजा यह निकला कि 'राम की शक्तिपूजा' के अद्भुत पाठकर्ता और शास्त्रीय गायन के भी परम विशेषज्ञ निराला की एक भी रिकार्डिंग आकाशवाणी के लेखागार में शायद नहीं है...
हिंदी का पुनर्जीवन (संदर्भ : लुप्त होती भाषाएँ) अजितकुमार
photo: http://www.timescontent.com/photos/preview/14097/Dharmaveer-Bharati-Surendra-Tiwari-Suryakant-Tripathi-%27Nirala%27-Girija-Kumar-Mathur.jpg
(source: http://www.hindisamay.com/contentDetail.aspx?id=2052&pageno=1)
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