Friday, May 17, 2013

Writing-Training


मैं तो खुद अनगढ़ हूं। आज भी लिखने की कोशिश करता हूं और बहुत संकोच के साथ लिखता हूं, वह भी तब जब रहा नहीं जाता । मुझे नहीं लगता पत्रकार और नेता किसी प्रशिक्षण या सिखाकर बनाए जा सकते है। इसके लिए तो व्यक्तियों से बेवजह बात करना, खूब पढ़ना और दूसरे के दुख दर्द को अपना समझना और उससे स्वयं को जोड़ना ही जरूरी लगता है जबकि आज इस बात का ही घोर अभाव हो रहा है ।

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