Thursday, February 13, 2014

Present Socio-Cultural Scenario



मानो सारे प्रतिमानों को ढ़हाने की होड़ सी लग गयी है, चहुंओर........

अब तो ऐसा लगने लगा है कि मानो सब कुछ अकस्मात नहीं बल्कि किसी सुनियोजित योजना के तहत हो रहा है, वह बात अलग है कि असली कारण अभी भी अबूझ है........

आज के स्थापित तंत्र को निकम्मा, असरहीन और निर्वीय घोषित करके भीड़ तंत्र को स्वीकृति दिलाना ही मानो एकमेव लक्ष्य हो..........

सबको चोर बताकर, चोर-चोर का खेल कही देश को भारी न पड़े, अब इसकी चिंता सबको करनी होगी...........
सच, जितना समझो उतना कम.…

No comments:

First Indian Bicycle Lock_Godrej_1962_याद आया स्वदेशी साइकिल लाॅक_नलिन चौहान

कोविद-19 ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। इसका असर जीवन के हर पहलू पर पड़ा है। इस महामारी ने आवागमन के बुनियादी ढांचे को लेकर भी नए सिरे ...