अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का, हमारे स्वतंत्रता संघर्ष के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है।
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने अंग्रेजों की अधीनता से द्वीपों को मुक्त करवाने के लिए इन हिस्सों में जापान की सफलता से प्राप्त अवसर का लाभ उठाया। जापानी नौसेना से अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को ग्रहण करने के लिए नेताजी 29 दिसंबर, 1943 को अंडमान पहुंचे। वह रोस द्वीप में ब्रिटिश चीफ कमीश्नर द्वारा छोड़े हुए आवास में रुके।
उन्होंने 30 दिसंबर, 1943 को जिमखाना मैदान में राष्ट्रीय तिरंगा फहराया। उन्होंने सेलुलर जेल की भी यात्रा की। वह 1 जनवरी, 1944 को रंगून के रास्ते विमान से वापस बैंकॉक रवाना हो गए।
नेताजी ने कर्नल ए.जी. लोगनादन को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का चीफ कमिश्नर नियुक्त किया। कर्नल लोगनादन, आजाद हिंद फौज के चार अन्य अधिकारियों के साथ 11 फरवरी, 1944 को पोर्ट ब्लेयर पहुंचे और अंडमान में आजाद हिंद सरकार की स्थापना की।
माना जाता है कि दूसरी सदी के रोमन भूगोलवेत्ता पटोलेमी ने ‘सौभाग्य के द्वीपों’ के रूप में उल्लेख करते हुए, इन्हें विश्व के मानचित्र में स्थान दिया है।
दो सौ वर्ष पूर्व, लैफ्टिनेंट आर्चिबाल्ड ब्लेयर द्वारा सर्वेक्षण किए गए द्वीप पोर्ट कार्नवालिस की प्रथम बस्ती के रूप में ब्रिटेन के अधीन चले गए।
Sunday, February 16, 2014
Netaji and Andman NIcobar island-freedom struggle नेताजी सुभाष चन्द्र बोस-अंडमान और निकोबार द्वीप समूह
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
First Indian Bicycle Lock_Godrej_1962_याद आया स्वदेशी साइकिल लाॅक_नलिन चौहान
कोविद-19 ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। इसका असर जीवन के हर पहलू पर पड़ा है। इस महामारी ने आवागमन के बुनियादी ढांचे को लेकर भी नए सिरे ...
No comments:
Post a Comment