Monday, February 10, 2014

Monuments of Delhi (मौलवी जफर हसन)




भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के लिए 1920 में मौलवी जफर हसन ने तीन खंडों में एक पुस्तक तैयार की थी जिसमें दिल्ली की ऐतिहासिक महत्व की इमारतों को सूचीबद्ध किया गया था.
इसके पहले 1865 में सर सैयद अहमद खां की 1847 में प्रकाशित पुस्तक ‘आसार-उस-सनादीद' (अतीत के अवशेष) का संशोधित एवं परिवर्धित संस्करण छपा था. इस पुस्तक में दी गई सूची की तुलना में 1920 के आते-आते लगभग एक-चौथाई इमारतें गायब हो चुकी थीं और कुल 1317 इमारतें बची थीं.
अब पुरातात्विक सर्वेक्षण के अनुसार दिल्ली में लगभग 1200 ऐतिहासिक इमारतें हैं लेकिन इनमें वे इमारतें भी शामिल हैं जो ब्रिटिश काल में बनी थीं. यानी अब मौलवी जफर हसन की सूची की भी अधिक-से-अधिक आठ सौ इमारतें बची हैं.
इनमें से भी केवल 180 इमारतों के रख-रखाव की जिम्मेदारी भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण की है, और 90 की देखभाल का जिम्मा दिल्ली सरकार के पुरातात्विक विभाग का है. शेष की साज-संभाल दिल्ली नगर निगम, छावनी बोर्ड और ऐसे ही अन्य सरकारी विभागों की है.
अंग्रेज शासकों ने भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण की स्थापना की, अनेक पुरातात्विक उत्खननों के जरिए हमारे इतिहास के लुप्त पृष्ठों को सामने लाने का काम किया और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया. अलेक्जेंडर कनिंघम (जिन्हें बाद में सर का खिताब भी मिला) तो पेशे से सेना में इंजीनियर थे. उन्होंने 1861 में पुरातात्विक सर्वेक्षण की स्थापना की थी.

No comments:

First Indian Bicycle Lock_Godrej_1962_याद आया स्वदेशी साइकिल लाॅक_नलिन चौहान

कोविद-19 ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। इसका असर जीवन के हर पहलू पर पड़ा है। इस महामारी ने आवागमन के बुनियादी ढांचे को लेकर भी नए सिरे ...