Sunday, February 9, 2014

Tata: Gandhi-Nehru-Patel (जे.आर.डी. टाटा, गांधी-नेहरू-पटेल पर)


”सामान्यतया मैं अक्सर गांधीजी से मिलकर आने के बाद प्रफुल्लित और उत्प्रेरित लेकिन सदैव थोड़ा संशयी महसूस करता हूं, और जवाहरलाल से बातें करने के बाद भावात्मक जोश से ओतप्रोत मगर अक्सर भ्रमित और न समझने वाला;
जबकि वल्लभभाई से मुलाकात प्रसन्नता से भरपूर होती है और वापसी में हमारे देश के भविष्य के बारे में पुन:विश्वास भरा होता है।
मैं अक्सर सोचता हूं कि यदि नियति ने जवाहरलाल के बजाय दोनों में उन्हें युवा (वल्लभभाई) बनाया होता तो भारत ने एक दूसरा पथ चुना होता और आज की तुलना में अच्छी आर्थिक स्थिति में होता।”
-जे.आर.डी. टाटा, गांधी-नेहरू-पटेल त्रिमूर्ति पर

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