Saturday, April 13, 2013

Balmukund Gupt:Lord Curzon

बालमुकुंद गुप्त ने लॉर्ड कर्जन पर प्रहार करते हुए (11 अप्रैल 1903) लिखा–”आपने माई लॉर्ड, जब से भारतवर्ष पधारे हैं, बुलबुलों का स्वप्न ही देखा है या सचमुच कुछ करने योग्य काम किया है, खाली अपना खयाल ही पूरा किया है या यहाँ की प्रजा के लिए कुछ कर्तव्य-पालन किया|…आप बारंबार अपने दो अति तुमतराक से भरे कामों का वर्णन करते हैं| एक विक्टोरिया मेमोरियल हॉल और दूसरा दिल्ली दरबार| पर जरा सोचिए तो यह दोनों काम शो हुए या ड्रयूटी ?”

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