मंजिल पर नजर होने से रास्तों पर नजर नहीं जाती जबकि मंजिल पर पहुंचाते रास्ते ही है । अब इसको क्या कहेंगे कि जो नजर में होता है उस पर ध्यान नहीं जाता और दिखता नहीं वही ध्यान में रहता है । आखिर अदृश्य और अनजाने का ही आकर्षण रहता है क्यों नहीं होता ?
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