Sunday, April 14, 2013

Night connection of creativity

"शाम से शुरू हुआ था रात में कुछ यूँ बन गया! खुद तलाश में हूँ कि इसे क्या कहूँ?"-हेमन्त शर्मा
सभी रतजगे रोमानी क्यों हो जाते हैं। वैसे यह बात रेडियो से लेकर प्रिंट की दुनिया में ज्यादा लगती है। लगता है, टीवी वालों को यह बुखार कम चढ़ता है। शायद इसका कारण यह भी लगता है कि टीवी की दुनिया में दृश्य कम प्रभावी और रेडियो-प्रिंट की दुनिया में शब्दों का असर ज्यादा होता है ।

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