First Women Medical Student of India_Reminiscences_Mary Scharlieb_मैरी शार्लीब_मद्रास मेडिकल कॉलेज
भारत के चिकित्सा विज्ञान की शिक्षा के क्षेत्र में वर्ष 1875 एक मील का पत्थर है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस साल मद्रास मेडिकल कॉलेज में चार महिलाओं को पहली बार तीन वर्षीय सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम में भर्ती किया गया।
देश के चिकित्सा विज्ञान की शिक्षा के क्षेत्र में पहली चार महिलाओं में से एक मैरी शार्लीब भी थी। यह एक अंग्रेज वकील की पत्नी शार्लीब की पैरवी का ही परिणाम था कि मद्रास मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों ने महिला छात्राओं की पढ़ाई के लिए अपने काॅलेज के दरवाजे खोले। यहां से पढ़ाई करने के बाद शार्लीब लंदन में स्त्री रोग विशेषज्ञ बनी।
भारत से लौटने के बाद शार्लीब ने अपने संस्मरणों को एक पुस्तक का स्वरुप दिया। "रेमनिसन्स" शीर्षक से प्रकाशित इस किताब को 1924 में लंदन के प्रकाशक विलियम्स एंड नाॅरगेट ने छापा। शार्लीब ने दो अन्य पुस्तकें भी लिखी जो कि "स्ट्रेट टाॅक्स टू वूमैन" और "हाॅऊ टू इनलाइटन अवर चिल्ड्रन" के नाम से प्रकाशित हुई।
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