Water discourse of Indian Society_Anupam Mishra_साफ़ माथे के समाज का पानी अभी बचा है_अनुपम मिश्र
साफ़ माथे के समाज का पानी_अनुपम मिश्र
आप पायेंगे कि ये अलग-अलग चेहरे हैं लेकिन उनकी जुबान एक हो गयी और इसलिए अगर मूल साहित्य भी दिखेगा तो मूल पर भी अंग्रेजी विचार का इतना असर है कि वो मौलिक नहीं बचता।
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