दिन का अर्थपूर्ण विचार_Positive Thought
पीछे जो बीत गया, उसका कोई उपाय नहीं। भविष्य में जो होगा उसका पता नहीं। फिर तो जो आज है, वही बरता जा सकता है, उसका पता भी है। आज ही अपना है बाक़ी सब सपना है। 09032020
जीवन में विद्वानों का सानिध्य हमेशा दुर्लभ है।
वैसे विद्वानों के समूह में भी अपने वजूद को भी बनाये रखना चाहिए क्योंकि किसी दूसरे से अपनी तुलना, जो आप कर सकते हैं कोई दूसरा नहीं कर सकता न ही सोच सकता है, बेमानी होता है।
कबीर संगत साधु की, नित प्रति कीजै जाय |
दुरमति दूर बहावासी, देशी सुमति बताय || 06032020
जीवन में धैर्य और मौन ऐसे साधन हैं, जिनसे किसी भी चुनौती से पार पाया जा सकता है। बस कार्य में निरंतरता और एकाग्रता को बनाए रखने की ज़रूरत है। इसके बाद, परिणाम मनोवांछित ही प्राप्त होता है। 05032020
जीवन में भय का काल्पनिक अमूर्त रूप ही दुख का कारक होता है। ऐसे में, भय रूपी दुख के वास्तविकता के मूर्त रूप में आते ही, उसका नष्ट होना निश्चित हो जाता है। सो, भय-दुख को समाप्त करने का सबसे अच्छा उपाय असली जीवन में उसका आमना-सामना करने में निहित है। आखिर कल्पना को हक़ीक़त में बदलना ही असली पुरुषार्थ है। इसी बात को रेखांकित करते हुए हिन्दी के रोमानी कविगिरिजा कुमार माथुर ने लिखा है, छाया मत छूना मन, होगा दुख दूना मन। 04032020
जीवन में विद्वानों का सानिध्य हमेशा दुर्लभ है।
वैसे विद्वानों के समूह में भी अपने वजूद को भी बनाये रखना चाहिए क्योंकि किसी दूसरे से अपनी तुलना, जो आप कर सकते हैं कोई दूसरा नहीं कर सकता न ही सोच सकता है, बेमानी होता है।
कबीर संगत साधु की, नित प्रति कीजै जाय |
दुरमति दूर बहावासी, देशी सुमति बताय || 06032020
जीवन में धैर्य और मौन ऐसे साधन हैं, जिनसे किसी भी चुनौती से पार पाया जा सकता है। बस कार्य में निरंतरता और एकाग्रता को बनाए रखने की ज़रूरत है। इसके बाद, परिणाम मनोवांछित ही प्राप्त होता है। 05032020
जीवन में भय का काल्पनिक अमूर्त रूप ही दुख का कारक होता है। ऐसे में, भय रूपी दुख के वास्तविकता के मूर्त रूप में आते ही, उसका नष्ट होना निश्चित हो जाता है। सो, भय-दुख को समाप्त करने का सबसे अच्छा उपाय असली जीवन में उसका आमना-सामना करने में निहित है। आखिर कल्पना को हक़ीक़त में बदलना ही असली पुरुषार्थ है। इसी बात को रेखांकित करते हुए हिन्दी के रोमानी कविगिरिजा कुमार माथुर ने लिखा है, छाया मत छूना मन, होगा दुख दूना मन। 04032020
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