Story based on attack of Nadirshah on Delhi_Vajrapat_Premchand_वज्रपात_प्रेमचंद
हिंदी के प्रसिद्ध लेखक प्रेमचंद ने दिल्ली पर नादिर शाह के हमले को लेकर "वज्रपात" नामक एक कहानी लिखी थी।
वर्ष 1943 में हिंदी साहित्य के मशहूर आलोचक नामवर सिंह ने नौंवी कक्षा में इसी कहानी पर आधारित एक नाटक में नादिरशाह की भूमिका अदा की थी।
इस नाटक में नामवर सिंह ने अमीर खुसरो का यह फारसी का शेर पढ़ा था। यह शेर उन्हें मरते दम तक याद रहा। कैसे नमाज के दौर में तेगे खुशी। अगर कि जिंदा तुनी खल्का बारे बाज सुशी।।
स्त्रोत पुस्तकः नामवर सिंहः आलोचना की दूसरी परंपरा
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