Thursday, March 19, 2020

History of Tea in India and World_भारत में चाय के पौधे की खोज_ 1823





इसमें कोई दो मत नहीं कि चाय का मूल स्थान चीन है। दुनिया भर में चाय के लिए प्रयोग किए जाने वाले सामान्य शब्द "टेह" और "चा" मूल रूप चीनी भाषा के हैं। इस बात के भी संकेत मिलते हैं कि चाय के जंगली पौधे भारत के पूर्वोत्तर विशेषकर असम में उगते थे। 


अनेक लोकप्रिय जनश्रुतियों में से एक के अनुसार, चाय की खोज छठीं शताब्दी के बौद्ध भिक्षु सिद्धार्थ से जुड़ी हुई है। जिनके बारे में माना जाता है कि गौतम बुद्ध की शिक्षा के प्रसार के लिए जब वे चीन से जापान प्रवास के गए, तो उस दौरान अपने साथ चाय की पत्तियां और बीज ले गए थे। 


चाय पीने के सामान्य समारोह को बाद में जापान में एक विस्तृत जापानी चायपान समारोह "चानोऊ" का रूप दे दिया गया। चाय का लिखित इतिहास सातवीं शताब्दी में मिलता है जहां एक चीनी लेखक ने चाय पर एक पूरी पुस्तक ही लिख डाली। 


माना जाता है कि भारत के असम राज्य के पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाले वनवासी समाज को चाय के पौधे के बारे में काफी पहले समय से पता था। 


ऐसे में वर्ष 1823 में अंग्रेजी सेना के एक अफसर मेजर राॅबर्ट ब्रूस ने असम के जंगलों में उगने वाली चाय के पौधे की खोज की थी। 19 शताब्दी में विशेष रूप से पूर्वोत्तर भारत में व्यापक स्तर पर चाय उगाने की शुरूआत हुई। जबकि दक्षिण भारत में वर्ष 1859 में तमिलनाडु के नीलगिरी इलाके में व्यावसायिक रूप से चाय को उगाने का आरंभ हुआ।


जबकि दुनिया में चाय के इतिहास में झांकने पर पता चलता है कि चीन के सम्राट शेन नुंग को 2737 वर्ष ईसापूर्व चाय की खोज का श्रेय दिया जाता है। जिसने उबलते पानी में खुशबूदार पत्तों के संयोगवश गिरने से यह बात पहचानी थी। जब इन पत्तों के बारे में खोजबीन की गई तो इनकी पहचान जंगल में उगने वाली चाय की पत्तियों के रूप में हुई। 


वैसे चाय शब्द के सर्वप्रथम उल्लेख के बारे में माना जाता है कि 350 वर्ष ईसापूर्व की एक चीनी भाषा के शब्दकोश में इसका विवरण मिलता है। जबकि चाय के बारे में विधिवत लिखित साक्ष्य काफी बाद के समय करीब 700 ईस्वी के हैं। 12 वीं शताब्दी तक चीन दुनिया में चाय का अकेला आपूर्तिकर्ता देश था। फिर, जापान ने चीन से चाय के पौधों को लेकर उगाना आरंभ किया। उसके बाद, वर्ष 1600 में इंडोनेशिया में चाय के पौधों को लगाया गया। तब धीरे-धीरे दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी चाय का व्यावयासियक स्तर पर उत्पादन होने लगा। आज इसी चाय का स्वाद पूरे विश्व के लोगों की जुबान पर छाया हुआ है। दुनिया भर में करीब चालीस देशों में व्यावसायिक स्तर पर चाय पैदा की जा रही है।



स्त्रोतः पर्सपेकट्व्सि, अंक दो, नवंबर 2011, हिंदुस्तान लीवर

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